About Management
Andhra Samaj Management Committee .........
Andhra Samaj Society was established in 1939.
(Founder Of Samaj- Late P. V. Raghav Rao, Ex DEN/BSP/SER)
Andhra Samaj is a charitable organization and do not carry any commercial business. The schools are being run through the aid provided by the Govt. of Chattisgarh and a very nominal fee is charged from the students to meet the expenses towards establishment cost. Further, our schools are imparting free education to the children of economically backward class as per the norms laid down by the Government under Right to Education. Further, the schools also cater the need of wards of large number of linguistic/religious minorities.
Executive Committee runs the school by name Andhra Samaj Balikala Unnata Pathashala (Telugu Medium).
Executive Committee runs the school by name Andhra Samaj Girls Higher Secondary school.
Executive Committee runs the school by name Andhra Samaj English Medium Hr.Sec. School.
Executive Committee always appreciate and honour all Telugu people from time to time who are contributing for social work.
Management Committee
N. Raman Muarty (President)
Srinivas Rao (Secretary)
T. Ramesh Babu (Treasurer)
G. Ramesh Chandra (Vice President)
A. Satyanarayana (Joint Secretary)
R. Manorath Babu (Executive Member)
D.N. Prasad (Executive Member)
K.S. Patnayik (Executive Member)
S.V. Ramana (Executive Member)
M. Ramesh (Executive Member)
N.V. Raju (Executive Member)
आंध्र समाज (पंजी), बिलासपुर
नौकरी करने आए और यहीं रच बस गए, संस्कृति और मातृ भाषा को कायम रखने की जद्दोजहद आंध्रा स्कूल बनाया, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए सभी को जोड़ा l
आंध्र प्रदेश के लोग प्रवासी के तौर पर रेलवे मे नौकरी करने के लिए लगभग 100 साल पहले बिलासपुर आए और आंध्र समाज के रूप मे यहीं रच बस गए । चंद प्रवास लोग आए और धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ती गई अब तो उनका पूरा कुनबा ही यहां बन गया है । समय के साथ-साथ व्यवस्थाएं बढ़ीं तो इनकी संख्या भी बढ़ने लगी । वर्तमान में 50 हजार से अधिक आबादी इनकी शहर में है ।
समाज के लोग अप्रवासी की तरह यहां आए जरूर लेकिन ज्यादातर लोग अब यहीं के हो गए हैं। रेलवे, एसईसीएल और एनटीपीसी में नौकरी के साथ-साथ अन्य लोग व्यवसाय के नाम से भी यहां आए और यहीं के रह गए । अपने राज्य से दूर हैं लेकिन परंपरा, संस्कृति और भाषा को नहीं छोड़े हैं । आन्ध समाज के प्रमुख पर्व मे मकरसंक्रांति हैं जिसे पोंगल कहा जाता है उसमें पितरों को याद करते हैं । इसके अलावा परंपरागत पूजा पाठ भी होते हैं। उगादी यानि नए वर्ष की शुरूआत है। आंध्र समाज के लोग बिलासपुर मे मकर संक्रांति, उगादि और वरलक्ष्मी पूजा बड़े धूम धाम से मानते आ रहे है । वरलक्ष्मी पूजा समाज की महिलाएं करती हैं ।
बच्चों को मातृभाषा का ज्ञान देने सन -1939 मे स्कूल शुरू किया -
आंध्र समाज के लोगों ने वर्ष 1939 में रेलवे से जमीन लेकर सिर्फ 10 लड़कियों से आंध्रा समाज कन्या प्राथमिक शाला के नाम से तेलुगू माध्यम मे इसकी शुरूआत की गई थी । सन 1954 मे आंध्र समाज, नागपुर से पंजीकृत होकर एक मान्यता प्राप्त समाज के रूप मे उभर कर आया । स्वर्गीय पी.वी. राघव जी, Ex.Sr.DEN/SER/GRC अध्यक्ष के रूप रह कर इस स्कूल कि स्थापना कि थी । स्कूल कि शुरुआत करने का मुख्य उद्धेश्य लड़कियों को मातृभाषा लिखने और पड़ने का का ज्ञान हो सके जिससे वे शादी होकर अगर अपने राज्य में जाएंगी तो वहां पर उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो । अभी भी समाज के बच्चे हिन्दी या अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं उनके लिए गर्मी की छुटि्टयों में दो महीने के लिए विशेष कक्षाएं ‘अक्षर-ज़्यान’ के नाम से लगायी जाती है ताकि वे भी अपनी मातृभाषा पढ़ व लिख सकें ।
आंध्र समाज स्कूल सन 1982 से शिक्षकों का वेतन हेतु शाशकीय अनुदान प्राप्त हो रहा है । शाशकीय अनुदान दिलाने मे स्वर्गीय डी.के. मूर्ति, पूर्व सचिव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
लाइफ लाइन के लिए लड़ी लंबी लड़ाई ...............
कोरबा-विशाखापट्नम लिंक एक्सप्रेस ट्रेन, आंध्र समाज के लिए लाइफ लाइन है जिसे लोग आंध्रा वाला गाड़ी भी कहते है । यह ट्रेन आंध्रा प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य को जोड़ने वाली एक मात्र ट्रेन थी । इसके लिए समाज के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी । पहले यह ट्रेन रायपुर से विशाखापट्नम तक चलती थी। बिलासपुर, कोरबा, मनेंद्रगढ़, शहडोल मे रहने वाले समाज के लोग चाहते थे कि यह ट्रेन बिलासपुर से चलाई जाए। लगभग पांच साल चली लंबी लड़ाई के बाद ट्रेन को बिलासपुर तक किया गया । इसके बाद उसे कोरबा किया गया, इसके लिए हमारे समाज के लोगो ने पुलिश के डंडे भी सहन किए थे । यह एक बड़ी जीत थी । इसमे आंध्र समाज के कई पदाधिकारी और समाज के लोगो का महत्वपूर्ण योगदान था । रेल अधिकारियो, विधायक और केन्द्रीय मात्रियों को पत्र लेखन मे श्री डी. गोपाल राव, रिटायर्ड व.स्टेनो जो कि रेल्वे कर्मचारी थे, इस सफलता मे इनका महत्वपूर्ण योगदान था ।